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अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद
 

प्राकृतिक चिकित्सक बने

आचार्य विनोबा भावे के छोटे भाई श्री बालकोवा भावे के द्वारा सन् 1946 में स्थापित गांधी संस्थान से अपना भविष्य निखारे संस्था के द्वारा साढ़े तीन वर्षीय डी एन वाय एस (DNYS) कोर्स द्वारा एक सफल चिकित्सक के रूप में सेवा कार्य कर जन कल्याण का कार्य करे।

सूचना-संदेश
नियमित कक्षाएं शुरू 2/04/2013

प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष व तृतीय वर्ष कि कक्षायें शुरु हो चुकी है। अधिक जानकारी के लिये कार्यालय में सम्पर्क करे।

अपना पंजीयन कर ले 1/04/2013

सभी छात्रों - छात्राओं को सूचित किया जाता है कि आवश्यक नोट्स व पुस्तको को पडने के लिए खुद को रजिस्टर करे।

चिकित्सा एवं योग में उपाधि-पत्र
प्रचलित पाठ्यक्रम
  1. C.E.N.Y. (6 माह )
  2. C.N.Y.T. (एक वर्षीय)
  3. D.N.Y.S. (3 वर्षीय व छह माह का कार्य)
Post your Artrical
"चांदी और सोने के टुकड़े नहीं, स्वास्थ्य ही वास्तविक धन हैं। एक रोगग्रस्त व्यक्ति की व्यक्तिगत प्रयास से ही अच्छे होने की संभावना हो सकती है वह कभी दूसरों से स्वास्थ्य उधार नहीं ले सकता।"
Mahatma Ghandhi (बापूजी)

सदगीपूर्ण व दिव्य जीवन शैली

अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद का मुख्य उद्देश्य शिक्षित नागरिकों के माध्यम से प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा के वैज्ञानिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना है। हमारी योजना अच्छे स्वास्थ्य के लिए गांधीवादी विचारों को समाहित करते हुये कुदरती उपचार व योग के सिद्धान्तों को पूरे विश्व में समाज के अन्तिम छोर तक पहुँचाना है।

Founder President

Balkoba Bhave Our institute is a Gandhiyan institute which had Estb in 1946 as per the instruction and guidance of Babuji by Shri Vinoba Bhawe and the first president to this was Shri Balko ba Bhave, younger brother to Shri Vinoba Bhave.

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History of Istitution

राजघाट गोधीवादी दर्शन की एक अग्रणी संस्थान है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उन 21 स्वपनीय कार्य में से एक है, जिन्हे वे हकीकत मे होता देखना चाहते थे। अपने पंच तत्व और रामनाम के अचुक उपचार प्रक्रिया के कारण प्रकृति द्वरा उपचार प्रक्रिया के ज्ञान के प्रासार मे समर्पित है। देश के प्रथम राष्ट्रपति बाबूजी व श्री विनोबा भावे के निदेश व मार्गदर्शन में 1946 मे स्थापित यह एक गांधीयन सस्थान है।

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Ask n Answer

क्या संस्थान मान्यताप्राप्त है?

समाज अधिनियम 1860 के तहत हमारा संस्थान एक स्वायत्त निकाय ट्रस्ट द्वारा चलता है।

Artical Up Comming Events News

भारत वर्ष क्या पूरे विश्व में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग अनादिकाल से है ?

हमारे पूर्वजों एवं ऋषि मुनियों के द्वारा समय - समय पर इसके प्रयोग किये परन्तु इस पद्वति का दुर्भाग्य रहा कि आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के चलते यह पद्धति दबकर रह गई। ....